■ नमस्कार फ्रेंड्स आज हम बात करते हैं एक ऐसी unique technology के बारे में जो की विज्ञान का एक अनमोल अविष्कार है। जो हमारे परिवार को एक बहुत बड़े अनदेखे ख़तरे से बचा सकता है और हम सब को अपना स्वास्थ्य अच्छा बनाए रखने में अत्यन्त कारगर साबित हो रहा है|
■ पिछले कुछ सालों में बहुत कुछ बदला है, लोगों के संपर्क करने का तरीका बदला, लोगों के काम करने का तरीका बदला, हम सब स्मार्ट मोबाइल फ़ोन, लैपटॉप, व इंटरनेट के गुलाम हो गए हैं। इनके बिना हमारा काम ही नहीं चल सकता है।
■ घरों में वाई-फाई राउटर्स लग चुके हैं, टेलीविज़न हमारे एलईडी हो गए हैं व जगह-जगह सोसाइटी में मोबाइल बूस्टर टॉवर लग गए है।
■ इन सब का बुरा असर सब पर हो रहा है।
■ हमारे आस-पास से चिड़ियाँ गायब हो गई ।
■ बीमारियां न जाने कैसी – कैसी हमें अपने चंगुल में लेती जा रहीं हैं। कैंसर जैसे हर घर का मेहमान हो गया है। पहले बच्चे बहुत नॉर्मल हुआ करते थे 10000 बच्चों में से कोई एक बच्चा ऑटिज्म का शिकार होता था आज हर 50 बच्चों में से एक बच्चा ऑटिज्म का शिकार है । आज हम जगह-जगह आईवीएफ क्लिनिक देख रहे क्योंकि अनफर्टिलिटी का रेट बढा है । मानिसक तनाव से लगभग 90% लोग शिकार हो रहे है। हार्ट अटैक के मरीज़ ज़्यादा हो गए है व बहुत कम उम्र मे heart attack की खबरें बढ़ती जा रही है|
■ क्या कभी सोचा है इतनी तेजी से इतनी सारी बीमारियां क्यों आने लग गई ?
■ क्योंकि हम हमेशा एक अनदेखी अनजानी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन से घिरे रहते हैं। विज्ञान यह बताता है कि इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन का दुष्प्रभाव हमारे मस्तिष्क पर सबसे ज्यादा होता हैऔर हमारे डीएनए में भी यह प्रभाव देखा जा सकता है ।
■ मोबाइल फोन कंपिनयां भी हमसे कहती हैं कि 1 घंटे में 6 मिनट से ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए और मोबाइल फोन बात करते वक्त हमारे शरीर से करीब 1 सेंटीमीटर दूर रहना चाहिए । क्योंकि मोबाइल फोन हमारे ब्रेन का तापमान 1 डिग्री से बढ़ा देता है ।रेडिएशन हमारे शरीर के हर cell को नुक़सान पहुँचाती हैं|
■ बच्चों में यह 90% दिमाग को दुष्प्रभावित करता है । हमारे बच्चों में हम एकाग्रता की कमी देख पा रहे है , बच्चे भी मानिसक तनाव का शिकार हो रहे हैं । चिढ़चिड़े हो रहे हैं। Diabetics जैसी बीमारी बच्चों को ज्यादा होने लगी है ।
■ पर Mobile phone और technology हमारी ज़रूरत है । इनसे दूर रहना तो संभव नहीं है । कैसा हो की हमें कोई ऐसा डिवाइस मिल जाए कि हम लगातार टेक्नोलॉजी के संपर्क में भी रहें और अपने आप को, अपने परिवार जनों को इन सारी बिमारियों से भी दूर रख सकें ।
■ इसके लिए मोदीकेयर लेकर आया हैं एनवायरो चिप और एनवायरो ग्लोब ।
■ जब आप Envirochip को अपने मोबाइल फोन के पीछे लगाते हैं तो मोबाइल से निकलने वाले रेडिएशन की तरंगों को यह human friendly तरंगों में परिवर्तित कर देता है। रेडिएशन की हानिकारक तरंगे एक समान निकलती है पर एनवायरो चिप इन किरणों को random waves में बदल देता है जिसके कारण वह हमें कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा पाती । AIIMS में इसे टेस्ट किया गया है और उन्होंने इसे काफी प्रभावशाली बताया है।
■ जो भी लोग इस्तेमाल कर रहे हैं जल्दी ही इसके फ़ायदे अनुभव करने लगते है।
■ काफी सारे कॉरपोरेट इसे इस्तेमाल कर रहे हैं और अपने workers की efficiency को अच्छा होते देख रहे है।
■ एनवायरो ग्लोब को भी इसी technology से बनाया गया है। यह जिस जगह रख दिया जाता है उसके आस पास के 350 sq. ft area को रेडिएशन की हानिकारक तरंगों से बचा कर रखता है । Mobile Tower / booster आदि के बाहर से आने वाले रेडिएशन के दुष्प्रभावों को भी हम तक पहुँचने नहीं देता। हम अपने घरों में, ऑफिस में, कार में इसे इस्तेमाल कर सकते हैं व रेडिएशन के दुष्प्रभावों से अपने परिवार को बचा सकते हैं।
■ यह केवल एक बार का हमारे हेल्थ में इन्वेस्टमेंट है । बीमार पड़ने से बेहतर है की हम अपना और परिवार जानो का बचाव कर ले । उन्हें एक स्वस्थ और प्रगतिशील जीवन जीने में अपना योगदान दे सकें।
■ है ना गजब की चीज! जो करें अपने प%परिवार से प्यार वह एनवीरोचिप और एनवायरोगलोब से कैसे करें इनकार|